चलते चलते राहे राहोंमे खुदही थमने लगी
चलते चलते राहे अब मंजिले लगने लगी....
उनकी हसी ज़िन्दगीकी तमन्ना बनने लगी
उनकी मिठास हर सुबहोंमे अनकहे घुलने लगी
उनकी साथ अब हमेभी अच्छी लगने लगी
चलते चलते ये राहे अब मंजिले लगने लगी....
उनकी खुशबू अब हमारी सान्सोंमे बसने लगी
हवायेंभी उन्हें अब छूने को तरसने लगी
फासले भी उनके आने की दस्तक देने लगी
चलते चलते ये राहे अब मंजिले लगने लगी....
हमारी बाते सिर्फ उनकिही बाते करने लगी
निगाहोंमेभी अब उनकीही तस्वीर बसने लगी
ज़िन्दगी बहोत दिनोबाद प्यारिसी लगने लगी
चलते चलते ये राहे अब मंजिले लगने लगी....
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