कैद है हम अपनेही दिलके किसी कमरेमे
खामोश है धड़कने अंजान एहसास हर सांसोंमे
खो गए है हम कही इन घने बदलोंके मेलोंमे
ढूंढ रहे थे चाँदको अमावसकी काली काली रातोंमे
तिन्कोकी तरह बिखरे है इन कई हज़ार तिन्कोंमे
रोशानीकी खोजमें चले है लेकर अँधेरे नज़रोंमे
Sunday, February 27, 2011
Wednesday, February 9, 2011
काश....
काश ये सूरज की किरणे मेरे मनके अन्धेरोंको चीर पाती
काश इस सागरकी लहरे मेरी दिल की गहराइयोमें समां जाती
काश कोई ख्वाब सुनहरे रातमे मेरी पागल आँखें देख पाती
काश उन सपनोंमें मेरी ज़िन्दगी कुछ अनकहे अरमान जी आती
काश एक तमन्ना होठोंपे अनसुनी ग़ज़ल बनके गुनगुनाती
काश उसकी गूँज इन फासलोंमे हमें और तुमेभी सुनाई देती
काश इस सागरकी लहरे मेरी दिल की गहराइयोमें समां जाती
काश कोई ख्वाब सुनहरे रातमे मेरी पागल आँखें देख पाती
काश उन सपनोंमें मेरी ज़िन्दगी कुछ अनकहे अरमान जी आती
काश एक तमन्ना होठोंपे अनसुनी ग़ज़ल बनके गुनगुनाती
काश उसकी गूँज इन फासलोंमे हमें और तुमेभी सुनाई देती
अब............
खो गए है हम कही इसी भीडमे
घुल गए है कही बहती हुई झीलमे
न होश रहा हमें अब हसने रोनेका
न अफसोस रहा कोई सपना खोनेका
न चाह रही हमे अब सुबहके उजालोंकी
न परवाह बची इन काली काली रातोंकी
खो गयी है कही अब धड़कनेभी इस दिलकी
साँसे भी रुकी है राह देखे जाने किस पलकी ?
घुल गए है कही बहती हुई झीलमे
न होश रहा हमें अब हसने रोनेका
न अफसोस रहा कोई सपना खोनेका
न चाह रही हमे अब सुबहके उजालोंकी
न परवाह बची इन काली काली रातोंकी
खो गयी है कही अब धड़कनेभी इस दिलकी
साँसे भी रुकी है राह देखे जाने किस पलकी ?
फ़ना.........
हम यूँ डूब जाये तुम्हारी काली काली आँखों मैं
की हमे ख्याल ही न रहे फिर नींद से जागनेका
हम भूल जाय खुद को तुम्हारी बाहोंकी पनाहोंमें
की हमें होश ही न रहे फिर होश में आनेका
हमारे बिना ना कभी हो चैन राहोंको चलनेमें
ज़िन्दगी को ना हो जूनून कोई मंजिल पानेका
इस क़दर फ़ना हो जाये हम तुम्हारी मोहोब्बतमे
की जाते जाते तुम्हे भी एहसास हो हमारे ना होनेका
की हमे ख्याल ही न रहे फिर नींद से जागनेका
हम भूल जाय खुद को तुम्हारी बाहोंकी पनाहोंमें
की हमें होश ही न रहे फिर होश में आनेका
हमारे बिना ना कभी हो चैन राहोंको चलनेमें
ज़िन्दगी को ना हो जूनून कोई मंजिल पानेका
इस क़दर फ़ना हो जाये हम तुम्हारी मोहोब्बतमे
की जाते जाते तुम्हे भी एहसास हो हमारे ना होनेका
फासले....
लहरों पे छोड़ आये थे कल हम तुम्हारी यादोंको
सोचा था भूल जायेंगे अब हम अपनेही सायोंको
मंजिलों को छोड़ के चले जा रहे थे हम राहोंको
सोचा था देंगे हम उजाले अब किसीकी सुबहोंको
अपनी आंखोंमें हमने क़ैद किया था अन्धेरोंको
न जाने किसकी याद फिर आयी इन आसुओंको
काश तुम भी देख पाते हमारे साथ मंजिलोंको
काश तुम भी कम कर पाते बढ़ते फासलोंको
सोचा था भूल जायेंगे अब हम अपनेही सायोंको
मंजिलों को छोड़ के चले जा रहे थे हम राहोंको
सोचा था देंगे हम उजाले अब किसीकी सुबहोंको
अपनी आंखोंमें हमने क़ैद किया था अन्धेरोंको
न जाने किसकी याद फिर आयी इन आसुओंको
काश तुम भी देख पाते हमारे साथ मंजिलोंको
काश तुम भी कम कर पाते बढ़ते फासलोंको
आज कल
धुंडते रहते है आज कल, हम अपनीही मुस्कान को
गीली रेत पर लेते लेते, देखते है पंछीयोंकी उड़न को
बाँहों मैं थामे हुए थे हम खामोशियोंके सायों को
राहोंमें अपनी भूल गए थे हम अपनीही राहोंको
कुछ लम्हे अभी बाकि थे, इन बाकि लम्होंमें बितानेको
कुछ ख्वाब फिर भी संभाले थे तुम्हारी पलकोंमें आनेको
गीली रेत पर लेते लेते, देखते है पंछीयोंकी उड़न को
बाँहों मैं थामे हुए थे हम खामोशियोंके सायों को
राहोंमें अपनी भूल गए थे हम अपनीही राहोंको
कुछ लम्हे अभी बाकि थे, इन बाकि लम्होंमें बितानेको
कुछ ख्वाब फिर भी संभाले थे तुम्हारी पलकोंमें आनेको
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