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Wednesday, February 9, 2011

काश....

काश ये सूरज की किरणे मेरे मनके अन्धेरोंको चीर पाती
काश इस सागरकी लहरे मेरी दिल की गहराइयोमें समां जाती

काश कोई ख्वाब सुनहरे रातमे मेरी पागल आँखें देख पाती
काश उन सपनोंमें मेरी ज़िन्दगी कुछ अनकहे अरमान जी आती

काश एक तमन्ना होठोंपे अनसुनी ग़ज़ल बनके गुनगुनाती
काश उसकी गूँज इन फासलोंमे हमें और तुमेभी सुनाई देती

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