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Sunday, February 27, 2011

कैद

कैद है हम अपनेही दिलके किसी कमरेमे
खामोश है धड़कने अंजान एहसास हर सांसोंमे

खो गए है हम कही इन घने बदलोंके मेलोंमे
ढूंढ रहे थे चाँदको अमावसकी काली काली रातोंमे

तिन्कोकी तरह बिखरे है इन कई हज़ार तिन्कोंमे
रोशानीकी खोजमें चले है लेकर अँधेरे नज़रोंमे

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