कैद है हम अपनेही दिलके किसी कमरेमे
खामोश है धड़कने अंजान एहसास हर सांसोंमे
खो गए है हम कही इन घने बदलोंके मेलोंमे
ढूंढ रहे थे चाँदको अमावसकी काली काली रातोंमे
तिन्कोकी तरह बिखरे है इन कई हज़ार तिन्कोंमे
रोशानीकी खोजमें चले है लेकर अँधेरे नज़रोंमे
Sunday, February 27, 2011
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