खो गए है हम कही इसी भीडमे
घुल गए है कही बहती हुई झीलमे
न होश रहा हमें अब हसने रोनेका
न अफसोस रहा कोई सपना खोनेका
न चाह रही हमे अब सुबहके उजालोंकी
न परवाह बची इन काली काली रातोंकी
खो गयी है कही अब धड़कनेभी इस दिलकी
साँसे भी रुकी है राह देखे जाने किस पलकी ?
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