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Friday, April 1, 2011

तुमसेही...

कुछ दूर तुम भी साथ आओं,
चलते चलते हमारे दिलमे बस जाओ
हर सुबह सिर्फ तुमसेही हो,
सुबहकी पहली किरण से पहलेकी राहत बन जाओ

कुछ दूर तुम भी साथ आओं,
इन अजनबी फासलोंको अब तो भूल जाओ
हर शुरुवात सिर्फ तुमसेही हो,
हमे ज़िन्दगीसे मिलानेवाली प्यारिसी चाहत बन जाओ

कुछ दूर तुम भी साथ आओं,
उदास लम्होंमे हमारी मुस्कान बन जाओ
हर ख़ुशी सिर्फ तुमसेही हो,
हम खुदासे तुम्हेही मांगे ऐसी ख़ुशीकी आहट बन जाओ

कुछ दूर तुम भी साथ आओं,
तनहा राहोंमे हमारी हमसफ़र बन जाओ
हर सफ़र सिर्फ तुमसेही हो,
कभी न भूल पानेवाली जिंदगीकी आदत बन जाओ

कुछ दूर तुम भी साथ आओं,
आंखोंमे न खुलनेवाले ख्वाबसे बस जाओ
हर ख्वाब सिर्फ तुमसेही हो,
पूरी ज़िन्दगी एक ख्वाब लगे ऐसी प्यारिसी रात बन जाओ.......

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